नई दिल्ली। इस्लाम में रमजान के पाक माह का बड़ा धार्मिक महत्व है। शुक्रवार को चांद दिखने के बाद आज से रमजान आरंभ हो चुका है। रमजान में मुस्लिम समुदाय के लोग रोजा रखते हैं। हिजरी कैलेंडर के अनुसार, नौवां महीना रमजान का होता है। इस्लामिक मान्यता के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि इस महीने रोजा रखने वाले रोजेदारों को कई गुना सवाब मिलता है और उन्हें जन्नत नसीब होती है।
इस्लामिक मान्यता के अनुसार, यह कहा जाता है कि रमजान के महीने में रोजा रखने का अर्थ केवल रोजेदार को उपवास रखकर, भूखे-प्यासे रहना नहीं है। बल्कि इसका सच्चा अर्थ है अपने ईमान को बनाए रखना। मन में आ रहे बुरे विचारों का त्याग करना। रोजे का अर्थ है अपने गुनाहों से तौबा करना।
इसलिए रमजान में किसी रोजेदार को अपने ईमान को सर्वोपरि बनाए रखना होता है। इस दौरान रोजेदार को किसी के बारे में बुरा भला नहीं कहना चाहिए। इस दौरान झूठ नहीं बोलना चाहिए और न ही किसी को झूठा वादा करना चाहिए।

रमजान को लेकर एक और मान्यता है कि इस पाक महीने में जन्नत के दरवाजे रोजेदारों के लिए खुल जाते हैं, जो लोग रोजा रखते हैं। अल्लाह उन्हें जन्नत भेजता है। रमजान का पहला अशरा रहमत का होता है। दूसरा अशरा मगफिरत का और तीसरा अशरा दोजख से आजादी दिलाने का होता है।
इसलिए मनाया जाता है रमजान
इस्लामिक मान्यता के अनुसार, 610 ईसवी में पैगंबर मोहम्मद साहब पर लेयलत-उल-कद्र के मौके पर पवित्र कुरान शरीफ नाजिल हुई थी। तब से रमजान माह को इस्लाम में पाक माह के रूप में मनाया जाने लगा। रमजान का जिक्र कुरान में भी मिलता है। कुरान में जिक्र है कि रमजान माह में अल्लाह ने पैगंबर मोहम्मद साहब को अपने दूत के रूप में चुना है। इसलिए रमजान का महीना मुसलमानों के लिए पाक है।