एक लाख से ज्यादा प्रतिभागियों पर किए गए एक सर्वेक्षण में 49 फीसदी लोगों का कहना है कि वित्त वर्ष 2017-18 के बजट में सरकार को नोटबंदी के असर को कम से कम करने के लिए करों में छूट देनी चाहिए. सिटिजन एंगेजमेंट प्लेटफॉर्म लोकल सर्किल द्वारा कराए गए इस सर्वेक्षण में 33 फीसदी प्रतिभागियों ने कहा कि डिजिटल लेनदेन पर कर नहीं लगना चाहिए.
इसमें 89 परसेंट ने कहा कि सरकार को स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च बढ़ाना चाहिए और इसे अंतरर्राष्ट्रीय मानदंडों तक पहुंचाना चाहिए, जबकि 40 फीसदी का कहना था कि वर्तमान में जो सरकारी अस्पताल है उनकी हालत सुधारने पर खर्च करना चाहिए. एक दूसरे सर्वेक्षण में 58 प्रतिशत लोगों ने कहा कि सरकार की शीर्ष प्राथमिकता शिक्षा पर खर्च बढ़ाने की होनी चाहिए और सरकारी स्कूलों की संख्या बढ़ानी चाहिए. जबकि 32 फीसदी का कहना था कि वर्तमान में जो सरकारी स्कूल हैं उनकी हालत सुधारने पर सरकार को खर्च करना चाहिए.

यह पूछे जाने पर कि नागरिकों के लिए आयकर छूट में किसे वरीयता देनी चाहिए. इसके जवाब में 55 फीसदी लोगों ने कहा कि कर के न्यूनतम आय की दर को बढ़ा देना चाहिए, जबकि 37 फीसदी का कहना था कि व्यक्तिगत आयकर की दरों को कम करना चाहिए. यह सर्वेक्षण देश के 200 जिलों में किया और इसमें आयकर, सरकारी खर्च और आवंटन, स्वच्छ भारत उपकर, स्टार्टअप, रेलवे, प्रदूषण, स्वास्थ्य सेवाएं और शिक्षा के क्षेत्रों के बारे में सवाल पूछे गए.