चंदौली: जिले में एचआईवी पॉजीटिव (एड्स) मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसमें पुरुष ही नहीं बल्कि महिला रोगी भी शामिल हैं। इस वर्ष एड्स से ग्रसित दो गर्भवती महिलाओं ने जिला अस्पताल में बच्चों को जन्म भी दिया।
फिलहाल जच्चा व बच्चा दोनों सुरक्षित हैं। यदि समय रहते इस रोग पर लगाम नहीं लगाया गया तो आने वाले समय से इसके खतरे से निबटना आसान नहीं होगा। आंकड़ों पर गौर करें तो इस वर्ष मार्च से लेकर 12 नवम्बर तक की अवधि में एड्स रोगियों की संख्या 51 तक पहुंच गयी है। वैसे यह वर्ष पूर्ण होने में अभी चार महीने बाकी है। एड्स पीड़ित 42 मरीज एन्टी रेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) की दवा का सेवन कर रहे है।
रेडजोन चिह्नित होने का खतरा
जनपद में जिस तरह से एचआईवी पीड़ित मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। उससे इस बात की आशंका बढ़ गयी है कि आगे चल कर स्वास्थ्य महकमा कहीं इस इलाके को रेज जोन न चिन्हित कर दे।
जिला अस्पताल में स्थापित एचआईवी जांच केन्द्र के प्रभारी चन्द्रशेखर मजूमदार बताते हैं कि अमूमन वही मरीज आते हैं, जिनको चिकित्सक रेफर करते हैं। यहां पर जांच के लिए ज्यादातर मरीज खुद चल कर आ रहे हैं। इस वर्ष स्त्री पुरुष और बच्चे मिलाकर अब तक 2749 मरीजों की जांच की जा चुकी है।
एड्स पीड़ित महिलाओं की हुई डिलेवरी
सितम्बर और अक्टूबर महीने में एक-एक एड्स पीडि़त महिला को जिला अस्पताल में सुरक्षित तरीके से डिलवरी करायी गई।
जांच पूरी होने पर वाराणसी रेफर
जिला अस्पताल के इंट्रीग्रेटेड काउसिलिंग एण्ड टेस्टिंग (आईसीटीसी) में मरीज की रिपोर्ट एचआईवी पाजिटिव आने पर उनको बीएचयू भेज दिया जाता है। वहां पर उनका एआटी और बेस लाइन सीडी-4 टेस्ट होता है। यहां जांच के उपरान्त रिपोर्ट के मुताबिक उनका इलाज चलता है।
जिला अस्पताल में एचआईवी टेस्टिंग का चार्ट
वर्ष टेस्ट किये गये मरीज एचआईवी पाजिटिव
2003 137 02

2004 338 01
2005 322 08
2006 366 13
2007 894 22
2008 1400 37
2009 2275 55
2010 2749 51