बहुत पुरानी कहावत है कि शादियां स्वर्ग में बनती है, लेकिन आज का युवा वर्ग इस बात को नहीं स्वीकारता। हमारे देश में परंपरागत शैली के अनुसार व्यक्ति के जीवन में शादी जैसे फैसले को लेने का अधिकार उसके माता पिता का होता है। लेकिन आज जीवनशैली के बदलते चलन के साथ–साथ अधिकतर भारतीय अपनी पसंद से विवाह कर रहे हैं और अब ऐसे सम्बन्धों को बनाना पहले की तरह जटिल भी नहीं रहा।
भारत सरकार डायवर्स को लेकर जो नया कानून पारित करने जा रही है, उसके अनुसार तलाक लेना बहुत ही आसान हो सकेगा। शायद शहरी युवाओं को यह अच्छा लगे क्योंकि आखिर यह उनकी आज़ादी का सवाल है। मुंबई में रहने वाले फिल्म लेखक अभिनेता राजेश त्रिपाठी के अनुसार आप उस व्यक्ति के साथ नहीं रह सकते जिससे आपके विचार मेल ना खाते हों और इसमें क्या गलत है। ऐसे संबंधों में एक दूसरे के साथ रहने का कोई मतलब नहीं बनता जहां आप खुश ना हों।
इन्टरनेट, मोबाइल फोन सोशल नेटवर्किंग साइट्स के माध्यम से लोग बहुत ही जल्दी एक दूसरे से घुल मिल जाते हैं और कई बार यह रिश्ते शादी तक पहुंच जाते हैं। लेकिन ऐसे रिश्तों को लेकर अभी भी समाज एकमत नहीं है क्योंकि जहां शहरीकरण बढ़ रहा हैं, वहीं आज भी गांवों में रहने वालों की संख्या कम नहीं है।
ऐसे में मिले जुले विचारों वाले अधिकतर लोग एक ही परिवार में रह रहे हैं।लेकिन क्या भारत जैसे देश में जहां लोग शादी को जन्मों का बंधन मानते हैं और जहां रिश्तों को बुरी स्थिति में भी जोड़कर रखने का प्रयास किया जाता है, वहां ऐसे कानून से लोगों को लाभ मिलेगा।
कई बार ऐसा होता है कि सालों साथ रहने के बाद कुछ जोड़ों की सोच आपस में मेल नहीं खाती और उन्हें ऐसा लगने लगता है, कि वो एक दूसरे के लिए नहीं बने। इसके कारण कुछ भी हो सकते हैं, लेकिन इसका प्रभाव दोनों पार्टनर के ही परिवारों पर पड़ता है। परिणाम स्वरूप व्यक्ति का पूरा जीवन सिर्फ कुछ सवालों में घिर कर रह जाता है।
दिल्ली स्थित गंगाराम अस्पताल की साइकालाजिस्ट डाक्टर आरती आनंद के अनुसार डायवर्स चाहने वाले पार्टनर को वर्तमान स्थिति में कुछ समय तक साथ रहना पड़ता है, जिसके कारण मानसिक तनाव बढ़ता चला जाता है।

कई केसेज़ ऐसे होते हैं जिसमें कि डायवर्स चाहने वाला एक पक्ष तलाक चाहता है और दूसरा नहीं। इस स्थिति में भी तनाव कम नहीं होता और अकसर इससे अवसाद जैसी मानसिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं ।
ऐसी स्थिति में सामान्यत जो समस्याएं आती हैं, उनसे बचने के कुछ उपाय
- अकेले बिलकुल ना रहें।
- समय–समय पर दोस्तों और रिश्ते दारों से मिलने जायें।
- नोएडा में कार्यरत एडवोकेट अंकुर नागर के अनुसार ऐसा का
- अपने विचार दूसरों से बांटने की कोशिश करें।
- सामाजिक भय की चिंता छोड़ दोस्त बनायें।
- अपने आपको जितना हो सके व्यस्त रखने का प्रयास करें।
- परिवारजनों से दूर होने की बजाय, उनका समर्थन प्राप्त करने का प्रयास करें।
नून तो दक्षिण देशों के लिए ही अच्छा है, हमारे लिए नहीं क्योंकि आज भी अधिकतर परिवारों के लोग गांवों से जुड़े हैं। ऐसे कानून से समाज में समस्याएं ही बढ़ेगी क्योंकि शादी और तलाक बहुत ही आसान हो जायेगा और यह महिलाओं के लिए अच्छा नहीं होगा। डायवर्स लेना एक जटिल प्रक्रिया है जिसके कारण भी अधिकतर लोग चाह कर भी इसमें पड़ना नहीं चाहते, लेकिन इसके आसान होने से समाज में अनियमितता ही बढ़ेगी।
ऐसे में पुरूष वर्ग के लिए शायद यह उतना मुश्किल ना हो लेकिन महिला वर्ग के लिए यही बहुत मुश्किल हो सकता है।आज शादी कल डायवर्स की स्थिति बहुत ही तनावपूर्ण हो सकती है, शायद इस तनाव से बचने में कोर्ट द्वारा पारित किया जाने वाला कानून लोगों के लिए हितकर हो। ऐसे में मानसिक तनाव की स्थितियां कम हो सकती हैं, लेकिन समाज इसे किस प्रकार से स्वीकारेगा यह कानून के पारित होने के बाद की पता चल पायेगा।