वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सरकार के तीन साल के कामकाज का लेखा-जोखा पेश करते हुए कहा कि तीन साल पहले नीतिगत पंगुता की स्थिति थी. नीतिगत सुधारों की प्रक्रिया सुस्त थी. दुनिया भर में हमारी अर्थव्यवस्था के बारे में धारणा कमजोर थी. पिछले तीन वर्षों में से दो बार कमजोर मानसून की स्थिति रही. इन विषम परिस्थितियों के बावजूद हमने इन वर्षों में अर्थव्यवस्था के प्रति भरोसा फिर से बहाल किया है. इसके मुख्य रूप से तीन कारण हैं- निश्चयात्मक रुख यानी सख्त फैसले लेने की योग्यता, स्पष्ट सोच और वृद्धि की दिशा. हमने ऐसे फैसले लिए हैं जिनसे आर्थिक वृद्धि के साथ हर तबके के विकास का भी सुनिश्चित किया गया है.
भारत-पाक संबंधों पर बोलते हुए अरुण जेटली ने कहा कि सरकार ने समस्या के समाधान की दिशा में कदम बढ़ाए. पीएम मोदी ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री समेत सार्क नेताओं को आमंत्रित किया. उसके बाद उन्होंने लाहौर की यात्रा की. ये सारे कदम अपने पड़ोसी के साथ तनाव को कम करने की दिशा में ही उठाए गए. लेकिन इसका जवाब पठानकोट, उड़ी और सैनिकों के साथ बर्बरता के रूप में दिया गया. बातचीत के माहौल को पाकिस्तान ने खत्म किया.

प्रत्यक्ष विदेशी नीति (एफडीआई) ने इस दिशा में अहम रोल निभाया है. हम सर्वाधिक एफडीआई प्राप्त करने वाले देश बन चुके हैं. हमने राज्यों को भी मजबूत करने का प्रयास किया है. भारत में हम आम सहमति के आधार पर एक संघीय कर ढांचे (जीएसटी) को अंतिम रूप दे रहे हैं. एक बार जब इसका क्रियान्वयन हो जाएगा तो हमें इसके लाभ मिलेंगे. सरकार ने सभी इकोमॉनिक लीकेज खत्म करने की कोशिश की है.