आयकर विभाग ने बेंगलूरु शहर में एक ऋण सहकारी समिति के ठिकानों पर छापा मारकर नोटबंदी के बाद कालेधन के लेनदेन के एक बड़े गोरखधंधे का पर्दाफाश करने और 200 करोड़ रुपये के संदिग्ध सौदों का पता लगाने का दावा किया है. विभाग का कहना है कि यह समिति कथित तौर पर एक चिट फंड चला रही थी और इस कार्रवाई में 200 करोड़ रुपये के संदिग्ध लेन देन का मामला सामने आया है.
आयकर विभाग द्वारा तैयार रपट के अनुसार इस ऋण सहकारी समिति का मुख्यालय मल्लेश्वरम में है. इसने अपनी सदस्यता 30,000 दिखायी थी और 200 करोड़ रुपये की जमा दर्ज की थी. इसमें 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा से पहले की जमा राशि भी शामिल है. आठ नवंबर के बाद देखा गया कि इस संस्था में भारी मात्रा में नकद जमाएं प्राप्त की गयीं और ऋण के भुगतान किये गये.
विभाग के अनुसार इसमें उसका मुख्य कार्यकारी भी शामिल था. कर अधिकारियों ने वी के्रडिट कोआपरेटिव सोसायटी नाम की इस संस्था की पांच शाखाओं पर खोजबीन की कार्रवाई की और इसकी गड़बडि़यों के बारे में रिजर्व बैंक, प्रवर्तन निदेशालाय, सीबीआई और राज्य सरकार के अधिकारियों को को सूचना दी है. इसकी स्थापना 1990 की बतायी गयी है.

बताया गया है कि यह समिति अपने ग्राहक को जानों (केवाईसी) के नियमों का पालन नहीं कर रही थी और न ही खाताधारकों के पैनकार्ड आदि रखती थी. आयकार विभाग को शक है कि यह सब धन के वास्तविक मालिकों की पहचान छुपाने के लिए किया गया होगा.