किसानों से अरहर दाल खरीदी मामले में बीजेपी सरकार फंसती नजर आ रही है। अब इस मामले में नया मोड़ आ गया है। फडणवीस सरकार के राज्यमंत्री अर्जुन खोतकर और उनके परिजन द्वारा 377 क्विंटल अरहर सरकारी खरीद केंद्रों पर बेचने का मामला सामने आया है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग है। दूसरी ओर, सत्ताधारी दल शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे पहले ही अरहर खरीदी को बड़ा घोटाला घोषित कर चुके हैं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण का कहना है कि दाल को लेकर आंकड़ों का बहुत गफलत है। उन्होंने कहा, अनुमान इतना गलत कभी नहीं हो सकता, लेकिन इस बार हुआ है। कहीं न कहीं बड़ी चूक हुई है। उपज के आंकड़े बताते हैं कि साल 2015 के खरीफ पैदावार में अरहर की खेती 12.37 लाख हेक्टेयर में की गई। पैदावार 4.44 लाख टन हुई। बारिश अच्छी होने के बाद राज्य सरकार ने अनुमान लगाया कि 2016 में महाराष्ट्र में दाल की उपज करीब 12.56 लाख टन होगी। बजट सत्र के दौरान मुख्यमंत्री फडणवीस ने 17 मार्च को विधानसभा में बताया कि इस बार राज्य में अरहर की उपज 11.71 लाख टन होने का अनुमान है। उसी सत्र में 5 अप्रैल को मुख्यमंत्री ने दूसरा अनुमान सदन में रखते हुए बताया कि अरहर की उपज 20.35 लाख टन होने का अनुमान है। सवाल यह है कि महज 1 महीने में ऐसा कौन सा जादू चला कि 11.71 लाख टन अरहर की पैदावार 20.35 लाख टन हो गई?’

देश में दालों की मांग और आपूर्ति में बड़ा अंतर है। साल 2015 में दाल की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हुई। उस वक्त केंद्र सरकार को जनता के गुस्से का सामना करना पड़ा था। महाराष्ट्र की सत्ताधारी बीजेपी खुद 100 रुपये किलो दाल बेचना शुरू किया था। उस वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के किसानों से अधिक मात्रा में दाल की फसल उगाने की अपील की थी। किसानों ने प्रधानमंत्री की बात मानी और जमकर दाल की खेती की। मौसम ने साथ दिया और दाल की बंपर उपज हुई। इसके लिए प्रधानमंत्री ने मन की बात में किसानों का आभार भी जताया, लेकिन अब किसान खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं क्योंकि उनकी अरहर नहीं खरीदी जा रही है।