नई दिल्ली। कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे को देखते हुए दुनिया कई देशों में इन दिनों लॉकडाउन है। अंतर्राष्ट्रीय आवागमन पर पूर्ण प्रतिबंध है। केवल रेस्क्यू अभियान, दवाइयां और जरूरी सामग्री अन्य देशों में पहुंचाने में के लिए रिलीफ फ्लाइट्स चल रही है।
इस बीच भारतीय कैप्टन अमरिंदर सिंह धालीवाल ने बताया कि शंघाई की उड़ानों में सबसे ज्यादा समय लगता हैं। इसके बावजूद चीन पहुंचने पर वहां के लोगों का व्यवहार रूखा ही रहता है। उन्हें लगता है कि उनका देश तो महामारी से मुक्त हो चुका है। ऐसे में वे लोग विदेश से आने वाले हर शख्स को शक की निगाह से देखते हैं। उन्हें अंदेशा रहता है कि कहीं बाहर से आने वाला शख्स वायरस का संक्रमण लेकर तो नहीं आ रहा।

कैप्टन धालीवाल ने बताया कि वे 29 मार्च को ईरान से 136 लोगों को लेकर आए थे। इससे पहले वे चीन, खाड़ी देशों के अलावा ढाका, यांगून और मालदीव तक रिलीफ फ्लाइट्स ले जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि जब भी हमारी फ्लाइट शंघाई एयरपोर्ट पर उतरती है, तो सिर्फ एक कमर्शियल स्टाफ ही दस्तावेजों का लेन-देन करता है। हमें प्लेन से बाहर आने की इजाजत नहीं होती। वुहान के बारे में धालीवाल बताते हैं कि शंघाई जाते वक्त वुहान के ऊपर से ही गुजरते हैं, वहां पर चीन के अन्य मेट्रो शहरों की तुलना में ज्यादा ऊंची इमारतें हैं। इन दिनों वहां पर कोई चहल-पहल नहीं दिखती। सड़कें सूनी पड़ी रहती हैं।