हिंदू धर्म में जितिया व्रत का काफी ज्यादा महत्व है, आज पूरे देश में जितिया व्रत का त्योहार मनाया जा रहा है। इस व्रत को जीवित्पुत्रिका व्रत भी कहते हैं। हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को यह व्रत रखा जाता है। इस व्रत को महिलाएं अपने पुत्र की लंबी आयु और आरोग्य की कामना के लिए रखती हैं। जितिया व्रत तीज व्रत की तरह ही निर्जला रखा जाता है। इसलिए जितिया व्रत को कठिन व्रतों में से एक मानते हैं।
जितिया व्रत के दौरान शाम को व्रती महिलाओं को विधि-विधान से पूजन करना चाहतए और इस दौरान जितिया व्रत आरती और मंत्र भी पढ़ना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से जितिया व्रत सफल तो होता ही है साथ ही इसका फल दोगुना हो जाता है।
जीवित्पुत्रिका व्रत या जितिया की आरती-
ओम जय कश्यप नन्दन, प्रभु जय अदिति नन्दन।
त्रिभुवन तिमिर निकंदन, भक्त हृदय चन्दन॥ ओम जय कश्यप…
सप्त अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी।
दु:खहारी, सुखकारी, मानस मलहारी॥ ओम जय कश्यप…
सुर मुनि भूसुर वन्दित, विमल विभवशाली।
अघ-दल-दलन दिवाकर, दिव्य किरण माली॥ ओम जय कश्यप…
सकल सुकर्म प्रसविता, सविता शुभकारी।
विश्व विलोचन मोचन, भव-बंधन भारी॥ ओम जय कश्यप…

कमल समूह विकासक, नाशक त्रय तापा।
सेवत सहज हरत अति, मनसिज संतापा॥ ओम जय कश्यप…
नेत्र व्याधि हर सुरवर, भू-पीड़ा हारी।
वृष्टि विमोचन संतत, परहित व्रतधारी॥ ओम जय कश्यप…
सूर्यदेव करुणाकर, अब करुणा कीजै।
हर अज्ञान मोह सब, तत्वज्ञान दीजै॥ ओम जय कश्यप…
मंत्र-
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा बसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि।।