कानून और व्यवस्था के मामले में योगी सरकार बुरी तरह फ्लाप साबित हो गयी है। तीन महीने की इस सरकार का यही सबसे कड़वा सच है। संत मुख्यमंत्री की नींद उड गयी है। वह अब इस सवाल का माकूल जवाब देने के लायक नहीं रह गये हैं कि कानून और व्यवस्था की स्थिति रसातल पर क्यों पहुंच गयी है? क्या हुआ उस चुनावी नारे का जिसमें बड़े दमखम के साथ दावा किया गया था कि-न गुंडाराज न भ्रष्टाचार, अबकी बार भाजपा सरकार।
योगी सरकार की हर मुमकिन कोशिश बेशक, कानून और व्यवस्था की स्थिति में जबरदस्त सुधार लाने के लिये संकल्पबद्ध मुख्य मंत्री योगी में एक तडप है। 19 मार्च को इन्होंने गोरखपुर में कहा था कि अपराधी यू.पी. छोड दें। अब तक ऐसी न जाने कितनी चेतावनियां दी जा चुकी हैं। असर एक का भी नहीं। कल रविवार को प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार और पुलिस महानिदेशक सुलखान सिंह ने वीडियों कांफेसिग के जरिये प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों से अराजक तत्वों का बड़ी कड़ाई से दमन करने के निर्देश दिये है। लेकिन, इससे क्या होगा?
अखिलेश सरकार से भी कहीं ज्यादा बदतर स्थिति इस सरकार के अप्रैल और मई महीनों के आपराधिक आंकडों पर गौर करें। इस पर प्रदेश पुलिस महानिदेशक कार्यालय का भी ठप्पा लगा है। इन दो महीनों में बलात्कार, लूट और हत्या जैसे संगीन अपराधों की संख्या 712 रही है। अखिलेश सरकार के इन्हीं दो महीनों में इन अपराधों की सख्या 212 ही थी। तुलनात्मक दृष्टि से अपराधों में 195 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
इससे थोडा हटकर देंखे, तो प्रदेश का कौशांबी जिला उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का गृह जिला है। यह लोक निर्माण विभाग के काबीना मंत्री भी हैं। इसके बावजूद, मुख्य मंत्री योगी की इस घोषणा का इस जिले में नगण्य असर ही पडा हैं कि सडकों को 15 जून के पहले ही गड्ढामुक्त कर दिया जायेगा। यहां ऐसी तमाम सडकंे हैं, जिन पर पैदल चलना भी मुश्किल है। एक बात और। किसानों से खरीदा गया हजारों मैट्रिक टन गेहूं खुलेे आकाश के नीचे पडा हुआ है। मानसून सिर पर आ गया है। कभी भी पानी गिर सकता है। लेकिन, इस गेंहू को गांेदामों रखे जाने की चिंता किसी को नहीं है। भाजपा विधायक संजय गुप्त भी कटघरे में कुछ ही दिनों पहले कौशांबी जिले के भरवारी कस्बे में जगदीश प्रसाद शिवहरे की बीयरशाप को लेकर भी ऐसी ही दखलंदाजी की गयी थी। आरोप है कि चायल से भाजपा विधायक संजय गुप्त और एक प्रभावशाली मंत्री के दबाव में आबकारी विभाग ने इनकी दुकान बंद करा दी थी। इस पर हाइ्रकोर्ट के आदेश पर स्थगनादेश मिल गया। अखबारों में सुर्खियां मिलने के बाद इससे बडा गलत संदंेश गया। पूरे प्रदेश इसी तरह की दखलंदाजियों का योगी की छवि पर बुरा असर पड रहा है।

मुख्य मंत्री कार्यालय पर भी कब्जा? उल्लेखनीय है कि यही केशव प्रसाद मौर्य खुद को मुख्य मंत्री पद का सबसे सशक्त दावेदार मानते रहे हैं। इस बाबत इनकी अति तीव्र ललक का अनुमान सिर्फ इतने से ही लगाया जा सकता है कि उप मुख्य मंत्री बनाये जाने के बाद इन्होंने सीधें मुख्य मंत्री कार्यालय पर ही कब्जा कर लिया था। वहीं से लगातार कई दिनों अपना राजकाज चलाते रहे। बाद में इन्हें ससम्मान वहां से बिदा किया गया। प्रधान मंत्री मोदी भी अछूते नहीं प्रधान मंत्री मोदी की भी सरकार में एक ऐसी ही एक शख्सियत के होने की चर्चा है। इनकी भी आंखों में मोदी बुरी तरह चुभ रहे हैं। लाचार हैं कि मोदी और शाह की जोडी इस पर बहुत भारी पड रही है। इसके बावजूद, अंदरूनी कोशिश मोदी को कमजोर करने की ही चल रही है। मुश्किल नहीं कि इनके तार योगी सरकार से भी जुड़े हुए हों। इसीलिये मोदी के लिये 2019 के लोकसभाई चुनाव की उत्तर प्रदेश में बडी अहमियत है।
बेलगाम हो रहे भाजपा नेता इस संबंध में उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक कन्हैया लाल गुप्त का कहना है कि योगी सरकार भी अखिलेश सरकार के ही ढर्रे पर चलती नजर आ रही है। इस सरकार में भी मंत्री, विधायक और स्थानीय भाजपा नेताओं की प्रशासनिक स्तर पर खासी दखलंदाजी देखने को मिल रही है। मसलन, इसी छह जून को मऊ से भाजपा विधायक श्रीराम सोनकर की मौजूदगी में उनके गुर्गे ने लखनऊ में यातायात ड्यूटी पर तैनात एक होमगार्ड को थप्पड मार दिया। इसके बाद यातायात निरीक्षक के साथ भी बदसलूकी की गयी। दोनों का गुनाह सिर्फ इतना ही था कि उन्होंने विधायक की गाड़ी को गलत रास्ते पर जाने से मना किया था। इसी तरह सहारनपुर में भी भाजपा सांसद के नेतृत्व में वहां के एस.एस.पी. लवकुमार के सरकारी आवास पर खासा बवाल हुआ था।
मोदी शाह ने भाजपा को उबारा वैसे, उत्तर प्रदेश भाजपा में ऐसा होना कोई अजूबा नहीं है। यहां पार्टी का हर बडा नेता मुख्य मंत्री बनने का ही सपना पाले हुए है। इसी के चलते यहां जबरदस्त आंतरिक संघर्ष और भयंकर गुटबाजी होती रही है। यह तो भाजपा के दिन बहुरने को हुए तो इसे मोदी और शाह के जरिये अद्भुत संजीवनी मिल गयी है। इसके बावजूद, यह आग अंदर ही अंदर तो सुलग ही रही है। इसी के चलते योगी आदित्य नाथ मुख्य मंत्री बनने के बाद भी ऐसे भाजपाइयों के सीने पर सापं की तरह लोट रहे हैं। बड़बोलेपन से बाज आये योगी सरकार पूर्व आई.ए.एस. अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह इसी बात को अपने ढंग से कहना चाह रहे हैं इनकी माने तो, योगी सरकार बडबोलेपन से ही काम कर रही है। प्रदेश में भारी संख्या में अधिकारियों के तबादले किये जा चुके हैं। लेकिन, इसके बावजूद आक्रामक नेतृत्व की कमी के ही कारण यहां ऐसा हो रहा है। इसीलिये प्रशासनिक अधिकारी दिग्भ्रमित जैसी स्थिति में है। वे सरकार की असल मंशा नहीं समझ पा रहे हैं।