ब्रिटेन के सर्वोच्च न्यायालय ब्रेक्जिट पर फैसला सुनाते हुए कहा है कि सरकार इससे जुड़े फैसले नहीं ले सकती है इसके लिए उसे संसद की इजाजत लेनी होगा। कोर्ट ने सरकार के विरोध में फैसला दिया। सुप्रीम कोर्ट के 11 जजों की बेंच में से तीन जजों ने सरकार को सही बताया जबकि आठ जजों इसे गलत कहा।
सरकारी पक्ष को रखते हुए अटॉर्नी जनरल जर्मी राइट ने कहा कि सरकार इस फैसले से नाखुश है। उन्होंने कहा कि हम निराश हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानने के लिए और उसे लागू करने के लिए जो भी जरूरी कदम उठाने होंगे उठाए जाएंगे। इस फैसले के बाद यह साफ हो गया है कि प्रधानमंत्री टेरीजा मे को ब्रिटेन के यूरोपीय संघ छोड़ने के बारे में जो भी समझौते या बातचीत करनी है, उसमें संसद की सहमति जरूरी है। दरअसल, टेरीजा सरकार चाहती थी कि इस पर बिना संसद की इजाजत के ही फैसला लेने दिया जाए।
इस के फैसले के बाद यह साफ हो गया है कि टेरीजा सरकार तब तक यूरोपीय संघ से ब्रेक्जिट के बारे में बातचीत नहीं कर पाएंगी जब तक कि उसके पास ससंद की अनुमति न हो। सरकार ने बातचीत शुरू करने के लिए 31 मार्च का अंतिम तारीख तय किया है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला सरकार के पक्ष में भी दिया। कोर्ट ने यह साफ किया कि सरकार को ब्रेक्जिट पर बातचीत के लिए स्कॉटलैंड की संसद और वेल्श और नॉर्दर्न आयरलैंड की असेंबली से इजाजत लेने जरूरत नहीं है।

गौरतलब है कि ब्रिटिश सरकार का इस मामले में तर्क था कि लिस्बन संधि की धारा-50 के तहत उसे बिना संसद की इजाजत के बातचीत शुरू करने का अधिकार है। जबकि विपक्षी दल सरकार के इस रवैये को लोकतंत्र विरोधी बताते रहे है।