सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही तस्वीरें से लगता है कि चीन अपना पहला स्टेल्थ फाइटर विमान जे-20 वायु सेना में शामिल करने जा रहा है। सोशल मीडिया पर जे-20 फाइटर के सीरियल नंबर 78271 और सीरियल नंबर 78274 लड़ाकू विमान की तस्वीरों शेयर की गई हैं। माना जा रहा है कि चीन के ये स्टेल्थ लड़ाकू विमान नार्थ सेंट्रल चीन के 176वीं ब्रिगेड में शामिल किए जाएंगे। चीन के इस एयरफोर्स बेस में ही चीन की पीपल लिबरेशन आर्मी एयर फोर्स (पीएलएएएफ) अपने सैन्य आयुधों का परीक्षण करती है। चीनी रक्षा विशेषज्ञ डाफेंग काओ द्वारा ट्विटर पर दी गई जानकारी के अनुसार छह जे-20 स्टेल्थ लड़ाकू विमानों को इसी महीने एक आधिकारिक कार्यक्रम के दौरान चीनी सेना में शामिल किया जाएगा। डाफेंग काओ ट्विटर पर @xinfengcao हैंडल से ट्वीट करते हैं।
पिछले ही महीने जे-20 स्टेल्थ लड़ाकू विमानों का झुहाई इंटरनेशनल एयर शो में पहली बार सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया गया था। हालांकि इंटरनेट पर साल 2010 से ही इसकी तस्वीरें उपलब्ध हैं। इसी साल सितंबर में पूर्वी अरुणाचल प्रदेश के निकट स्थित तिब्बत सीमा में ऐसे ही एक विमान को उड़ते हुए देखा गया था।
रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार चीन के जे-20 लड़ाकू विमान राडार को चकमा देने वाली प्रणाली से लैस हैं। इस विमान से हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल दागी जा सकती हैं। इसके अत्याधुनिक डिजाइन और तकीनीकी की वजह से दुश्मन के लड़ाकू विमानों और जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल की जद में आना कठिन होगा। हालांकि कुछ रक्षा विशेषज्ञ इसके इंजन की क्षमताओं पर सवाल भी खड़ा कर रहे हैं।
रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार चीन ने अमेरिका के स्टेल्थ फाइटर प्लेन एफ-22 के जवाब में ही जे-20 विकसित किया है। जे-20 की तस्वीरें पहली तब सामने आई थीं जब तत्कालीन अमेरिकी रक्षा मंत्री रॉबर्ट गेट्स चीनी के दौरे पर थे। तब माना गया था कि अमेरिकी रक्षा मंत्री के दौरे के दौरान ही चीनी स्टेल्थ फाइटर प्लेन की तस्वीरें सामने आने महज संयोग नहीं है। चीन ने पिछले कुछ सालों में अपनी वायु सेना की ताकत काफी बढ़ाई है।
भारत की चीन की बढ़ती हवाई ताकत पर गहरी नजर है। भारत के पास अभी तक राडार प्रणाली को चकमा देने वाले स्टेल्थ फाइटर विमान नहीं हैं। भारत ने रूस के सुखोई से स्टेल्थ फाइटर विमान (फिफ्थ जेनरेशन फाइटर एयरक्राफ्ट) बनाने के लिए समझौता किया है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स भारत के लिए एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एएमसीए) बना रहा है लेकिन इसमें अभी कई साल लग सकते हैं क्योंकि विशेषज्ञों के अनुसार अभी तक इन विमान पर काम कागज से आगे नहीं बढ़ा है।

जे-20 को उत्तरी-मध्य चीन स्थित डिंगशिन एयरफोर्स बेस पर देखा गया :
पिछले ही महीने जे-20 लड़ाकू विमानों को शुहाई इंटरनेशनल एयरशो के दौरान पहली बार सार्वजनिक रूप से पेश किया गया था, हालांकि इसकी तस्वीरें वर्ष 2010 से ही सामने आती रही हैं. इसी साल सितंबर में भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश के पूर्व में तिब्बती स्वायत्त प्रीफैक्चर में बेहद ऊंचाई पर बने डाओशेंग याडिंग एयरपोर्ट पर जे-20 का परीक्षण भी किया गया था.
पिछले महीने जे-20 को शुहाई इंटरनेशनल एयरशो के दौरान पेश किया गया था :
राडार को चकमा देने वाले स्टेल्थ डिज़ाइन से बनाए गए सुपरसोनिक जे-20 विमान में हथियार रखने की जगह भीतर ही है, जहां हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें रखी जाती हैं. पंखों के नीचे भारी-भारी हथियारों को लेकर उड़ने वाले परंपरागत लड़ाकू विमानों से अलग जे-20 का ‘साफ’ डिज़ाइन उसे लो राडार प्रोफाइल देता है, जिससे दुश्मन के लड़ाकू विमानों और ज़मीन पर तैनात सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों के लिए विमान को ट्रैक करना और उस पर निशाना साधना बेहद मुश्किल हो जाता है. जे-20 की कुछ और तकनीकी खासियतें भी सार्वजनिक की जा चुकी हैं, हालांकि पश्चिमी ऑब्ज़र्वरों ने जे-20 के इंजन को लेकर संदेह व्यक्त किया है. चीनी सैन्य गतिविधियों पर नज़र रखने वाली ‘द नेशनल इंटरेस्ट’ के रक्षा संपादक डेव मजूमदार के अनुसार, “जे-20 की मौजूदा बनावट बाहरी रूप से तो कई मायनों में वास्तव में पांचवी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों जैसी है, लेकिन इंजन और मिशन सिस्टम एवियॉनिक्स तकनीक के मामले में चीन अब भी काफी पिछड़ा हुआ है…”
पिछले महीने जे-20 को शुहाई इंटरनेशनल एयरशो के दौरान पेश किया गया था :
राडार को चकमा देने वाले स्टेल्थ डिज़ाइन से बनाए गए सुपरसोनिक जे-20 विमान में हथियार रखने की जगह भीतर ही है, जहां हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें रखी जाती हैं. पंखों के नीचे भारी-भारी हथियारों को लेकर उड़ने वाले परंपरागत लड़ाकू विमानों से अलग जे-20 का ‘साफ’ डिज़ाइन उसे लो राडार प्रोफाइल देता है, जिससे दुश्मन के लड़ाकू विमानों और ज़मीन पर तैनात सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों के लिए विमान को ट्रैक करना और उस पर निशाना साधना बेहद मुश्किल हो जाता है. जे-20 की कुछ और तकनीकी खासियतें भी सार्वजनिक की जा चुकी हैं, हालांकि पश्चिमी ऑब्ज़र्वरों ने जे-20 के इंजन को लेकर संदेह व्यक्त किया है. चीनी सैन्य गतिविधियों पर नज़र रखने वाली ‘द नेशनल इंटरेस्ट’ के रक्षा संपादक डेव मजूमदार के अनुसार, “जे-20 की मौजूदा बनावट बाहरी रूप से तो कई मायनों में वास्तव में पांचवी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों जैसी है, लेकिन इंजन और मिशन सिस्टम एवियॉनिक्स तकनीक के मामले में चीन अब भी काफी पिछड़ा हुआ है…”
जे-20 दो इंजन वाला स्टेल्थ लड़ाकू विमान है, जो कभी-कभी राडार की पकड़ में नहीं आता :
उधर, भारतीय वायुसेना भले ही चीन में सैन्य विमानन के क्षेत्र में हो रही गतिविधियों और विकास पर लगातार नज़र रखे हुए है, लेकिन राडार को चकमा देने में सक्षम स्टेल्थ लड़ाकू विमान सेना में शामिल करने में अभी उसे कई साल लगेंगे. पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान (एफजीएफए या Fifth Generation Fighter Aircraft) रूस की सुखोई कंपनी के साथ मिलकर बनाया जा रहा है, जबकि अपना खुद के विकसित किए एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एएमसीए या Advanced Medium Combat Aircraft) को तैनात करने की योजना पूरी होने में भी बहुत साल लगने वाले हैं. एक ओर चीन ने जे-20 को सेना में शामिल कर ही लिया है, वहीं एएमसीए का डिज़ाइन भी अभी ड्रॉइंग बोर्ड से, यानी काग़ज़ों से आगे नहीं बढ़ा है.