नई दिल्ली। पूरी दुनिया में अपने नापाक मंसूबों के लिए कुख्यात ड्रैगन के लिए बुरी खबर है। दक्षिणी चीन सागर में अपना वर्चस्व जमाने में जुटे चीन को रोकने के लिए सुपरपावर अमेरिका ने नई तैयारी कर ली है। अमेरिका ने दुनिया के सबसे बड़े और खतरनाक तथा परमाणु ऊर्जा से संचालित विमान वाहक युद्ध पोत यूएसएस निमित्ज को दक्षिणी चीन सागर के लिए रवाना कर दिया है। चीन के नापाक मंसूबों को रोकने के लिए अमेरिका ने युद्ध पोत यूएसएस निमित्ज को मिडिल ईस्ट से हटाकर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में उतार दिया है। अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने बताया कि यूएसएस निमित्ज को दक्षिण चीन सागर में उतार दिया गया है। यहां से निमित्ज दुनिया के सबसे व्यस्त अंतरराष्ट्रीय समुद्री क्षेत्र पर नजर रखेगा।
पहले ट्रम्प प्रशासन ने ईरान से जारी तनाव के बीच यूएसएस निमित्ज को मिडिल ईस्ट में तैनात किया था। अब बाइडन प्रशासन ने ईरान से संबंध बेहतर होने की उम्मीद के बीच यूएसएस निमित्ज को दक्षिण चीन सागर में तैनात करने का फैसला लिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपने इस फैसले से साफ कर दिया है कि वह ईरान के प्रति तो थोड़ा नरम हो सकते हैं, लेकिन चीन के प्रति सख्ती जारी रहेगी।
अमेरिकी विदेश विभाग ने साफ किया है कि अमेरिका पहले अपने सहयोगियों के साथ बेहतर संबंध बनायेगा। इसके बाद ही चीन पर शिकंजा कसा जाएगा। अमेरिका एशिया प्रशांत क्षेत्र में 36 देशों का साथ देने लिए दक्षिण चीन सागर के आसपास अपनी उपस्थिति बढ़ा सकता है, जिनमें से कई देशों के चीन के साथ सीमा विवाद हैं।

इसके साथ ही जो बाइडेन प्रशासन ने ताइवान के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि कर दी है। इससे साफ है कि बाइडेन प्रशासन ताइवान को लेकर डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की नीति के साथ आगे बढ़ेगा। बता दें कि ताइवान को लेकर बीते कुछ समय से चीन और अमेरिका के बीच तनाव जारी है। चीन ताइवान को वन चाइना का हिस्सा मानता है। बता दें कि एक अन्य जंगी विमान यूएसएस थियोडोर रूजवेल्ट पिछले महीने दक्षिण चीन सागर पहुंचा था। इनमें यूएसएस बंकर हिल, यूएसएस रसेल और यूएसएस जॉन फिन युद्धपोत शामिल थे।