नई दिल्ली। देश में कई मंदिर ऐसे हैं जिनके निर्माण के इतिहास को जानकर आप हैरत में पड़ जाएंगे। हमारे यहां ऐसे मंदिर हैं जो महज एक रात में बनकर तैयार हो गए थे। खास बात यह है कि इन मंदिरों की भव्य इमारत को देखकर आप इसका अंदाजा नहीं लगा सकते हैं। यह मंदिर इतने विशाल और भव्य हैं कि इस तरह के मंदिर बनवाने शुरु करें तो वर्षों लग जाएंगे। मान्यताओं के मुताबिक एक चमत्कार की तरह यह मंदिर रात भर में बनकर तैयार हो गए।
गोविंद देव जी मंदिर
भगवान श्री कृष्ण की लीलास्थली वृंदावन में गोविंद देव जी का यह मंदिर है। इस मंदिर के निर्माण की कथा भी कृष्ण की लीला की तरह अद्भुत है। कहते हैं कि यह मंदिर एक रात में बनकर तैयार हुआ है। इस मंदिर को करीब से देखने पर अधूरा सा लगता है। कहते हैं कि भूतों ने या दिव्य शक्तियों ने पूरी रात में इस मंदिर को तैयार किया है। सुबह होने से पहले ही किसी ने चक्की चलानी शुरु कर दी जिसकी आवाज से मंदिर का निर्माण करने वाले काम पूरा किए बिना चले गए।
देवघर मंदिर
झारखंड स्थिति देवघर के मंदिर के विषय में भी कथा है कि देव शिल्पी विश्वकर्मा ने यहां मंदिरों के निर्माण का काम एक रात में किया है। मंदिर प्रांगण में देवी पार्वती का मंदिर बाबा बैजनाथ और विष्णु मंदिर से छोटा है। इसके पीछे कथा है कि देवी पार्वती के मंदिर का निर्माण कार्य होते-होते सुबह हो गई जिससे मंदिर अधूरा रह गया। देवघर के मंदिर की एक अनूठी बात यह है कि इसमें प्रवेश का मात्र एक दरवाजा है। इंजीनियरों ने काफी गणित लगाए लेकिन मंदिर में दूसरा दरवाजा नहीं बना पाए।
ककनमठ मंदिर

मध्यप्रदेश के मुरैना जिला से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर एक प्राचीन शिव मंदिर है ककनमठ। कच्छवाहा वंश के राजा कीर्ति सिंह के शासन काल में बने इस मंदिर को लेकर एक किंवदंती है कि यह मंदिर एक रात में बना है जिसका निर्माण भोलेनाथ के गण यानी भूतों ने किया है। इस मंदिर में एक कमाल की बात यह भी है कि इसके निर्माण में गाड़े या चूने का प्रयोग नहीं है। पत्थरों पर पत्थर इस तरह रखे गए हैं कि उनके बीच संतुलन बना हुआ है और आंधी तूफान भी इसे हिला नहीं सके।
एक हथिया देवाल
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में स्थित यह शापित मंदिर है एक हथिया देवाल। इस मंदिर के बारे में कथा कि एक हाथ वाले शिल्पकार ने एक रात में ही इस मंदिर का निर्माण कर दिया था। शिवलिंग का अर्घा दक्षिण दिशा में होने के कारण इस मंदिर में पूजा करना अनिष्टकारी माना गया। शिल्पकार के एक हाथ होने के पीछे कई तरह की कथाएं हैं।
भोजेश्वर मंदिर
मध्यप्रदेश के रायसेन जिले में स्थित यह है भोजेश्वर मंदिर जिसे उत्तर भारत का ‘सोमनाथ मंदिर’ भी कहा जाता है। पहाड़ी के ऊपर बने इस मंदिर के निर्माण की कथाओं में एक कथा ऐसी है जिसका संबंध द्वापर युग यानी महाभारत काल से है। कहते हैं कि यहां पांडवों ने अपनी माता कुंती के लिए रातों रात विशाल शिवलिंग की स्थापना की थी। कुंती के पिता महाराज भोज से लेकर परमार राजा भोज तक कई कथाएं यहां के विशाल शिवलिंग को लेकर कही जाती है।