नई दिल्ली। देश में तीन नए आपराधिक कानूनों के लागू होने के बाद विपक्ष उनकी खामिया गिनाने में लगा है। कांग्रेस का आरोप है कि इस कानून में पिछले से कोई ज्यादा अंतर नहीं है और इसमें बस कमिया ही हैं। वहीं, इन सबके बीच गृहमंत्री अमित शाह ने नई दिल्ली में संसद पुस्तकालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि, दंड की जगह न्याय लेगा, देरी की जगह स्पीडी ट्रायल और स्पीडी जस्टिस मिलेगा और पहले सिर्फ पुलिस के अधिकारों की रक्षा की गई थी अब पीड़ितों व शिकायतकर्ता के अधिकारों की रक्षा होगी। इस नए नजरिए के साथ ये तीनों कानून देश में लागू हुए हैं।
उन्होंने आगे कहा कि, 75 साल बाद इन कानूनों पर विचार हुआ। ये कानून जब आज से हर थाने में अपना काम करना चालू करेंगे तब अंग्रेजों के बनाएं हुए कानून निरस्त होंगे और भारत की ससंद में बनाए गए कानून आएंगे। देश की जनता को मैं बहुत-बहुत बधाई देना चाहता हूं कि आजादी के 77 साल बाद आपराधिक न्याय प्रणाली (Criminal Justice System) पूर्णतया स्वदेशी हो रही है और भारतीय Ethos के आधार पर चलेगी।
अमित शाह ने आगे कहा कि, ‘राजद्रोह’ एक ऐसा कानून था, जिसे अंग्रेजों ने अपने शासन की रक्षा के लिए बनाया था। महात्मा गांधी, तिलक महाराज, सरदार पटेल… सभी ने इसी कानून के तहत 6-6 साल की सजा काटी थी। इसी कानून के तहत केसरी पर प्रतिबंध लगाया गया था। राजद्रोह कानून को हमने समाप्त कर दिया है और इसकी जगह देशविरोधी हरकतों के लिए नई धारा लेकर आए हैं।