भारत एक ऐसा देश है, जो अपनी परंपराओं और मान्यताओं के लिए जाना जाता है। उन्हीं में से एक परंपराओं में महिलाओं द्वारा पहनी जानें वाली चूड़ियां भी हैं। ऐसा कहा जाता है कि इसके कई पीछे कई वैज्ञानिक और धार्मिक कारण हैं।
इसके साथ ही ये चूड़ियां महिलाओं के सोलह शृंगार में से एक हैं और यह उनकी खूबसूरती बढ़ाने में भी अहम भूमिका निभाती हैं। तो चलिए इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं –
चूड़ियां पहनने का वैज्ञानिक कारण
अगर चूड़ियां पहनने के वैज्ञानिक कारणों की बात करें, तो कुछ रिपोर्ट्स में ऐसा कहा गया है कि महिलाओं की चूड़ियां एक ऐसा घर्षण पैदा करती हैं, जिससे रक्त संचार में मदद मिलती है। कुछ मान्यताओं के अनुसार, कलाई क्षेत्र एक एक्यूपंक्चर बिंदु है, जो एक महिला के शरीर में हार्मोनल संतुलन में मदद करता है। यही एक कारण है भारती परंपराओं में चूड़ियां धारण करने पर जोर दिया गया है।
चूड़ियां पहनने का धार्मिक कारण
वहीं धार्मिक मान्यताएं ये कहती हैं कि जो महिलाएं चूड़ियां पहनती उनसे नकारात्मक ऊर्जा दूर रहती है। देश के कई हिस्सों में ऐसा माना जाता है कि चूड़ियों की आवाज अविवाहित महिलाओं को बुरी नजर से भी बचाती है। वहीं रंगीन चूड़ियां मानसिक शांति प्रदान करती हैं।
देश भर में महिलाएं लाल, हरे और पीले जैसे विभिन्न रंगों की चूड़ियां पहनती हैं। हरी चूड़ियां शांति का प्रतीक हैं, और लाल प्रजनन क्षमता या नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने का प्रतीक है।