नई दिल्ली। सोमवार को फिर से लोकसभा और राज्यसभा का सत्र शुरू हुआ। केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग, नीट और अग्निपथ जैसे मुद्दों को लेकर विपक्ष ने सरकार को घेरा। इस दौरान दोनों सदनों में जमकर हंगामा हुआ। वहीं, राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण के लिए धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलते हुए नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और स्पीकर जगदीप धनखड़ के बीच फिर से ठन गई। दरअसल, खरगे ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए मोहन भागवत का नाम ले लिया, जिस पर धनखड़ गुस्सा हो गए।
इसके साथ ही मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि, मोदी सरकार अपनी विफलताओं को छुपाने में माहिर है। यह सदी भारत की सदी है और आने वाला दौर भारत का है। इस बात से किसी को इनकार नहीं हो सकता है। लेकिन 10 साल का हमारा तजुरबा यह है कि, यह सब बातें सिर्फ भाषणों में ही रही है। इसका जमीन पर अमल नहीं हुआ है। संविधान ने हमें एडल्ट फ्रैंचाइज़ का अधिकार दिया, लेकिन इस बार चुनाव में मतदान 2019 के तुलना में काफी कम हुआ। चुनाव के दौरान ग्रामीण मतदाताओं ने अधिक उत्साह से भाग लिया, इसलिए मैं इनको धन्यवाद देता हूं।
सभापति जी ने कहा था कि प्रजातंत्र में प्रजा ही मालिक और सर्वोपरि है और मैं इससे सहमत हूं।
उन्होंने आगे कहा कि, BJP संविधान बदलने की बात कह रही थी, इसलिए INDIA गठबंधन को संविधान बचाने की मुहिम चलानी पड़ी। जनता ने यह महसूस किया कि बाकी मु्द्दे आते-जाते रहेंगे, लेकिन जब संविधान बचेगा तभी लोकतंत्र रहेगा। इसलिए इस लड़ाई में आम नागरिकों ने विपक्ष का साथ दिया और संविधान को बचाने का काम किया। अभी भी देश में सामाजिक न्याय के विपरीत मानसिकता वाले लोग मौजूद हैं। यह लड़ाई तभी पूरी होगी जब ऐसी विचारधारा को उखाड़ कर फेंक दिया जाएगा। इस सत्र की खूबी यह है कि जनादेश के डर से सत्ता पक्ष भी संविधान की चर्चा कर रहा है, पर ऐसे लोग भी हैं जिन्हें संसद में ‘जय संविधान’ के नारे से आपत्ति है। इसलिए सिर्फ संविधान को माथे पर लगाने से काम नहीं चलेगा, बल्कि इसके रास्ते पर चलकर दिखाना भी होगा।
मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि, नरेंद्र मोदी हमेशा महिलाओं और गरीबों की बात करते हैं। लेकिन मणिपुर एक साल से जल रहा है, वह आज तक वहां नहीं गए। मोदी जी, आप विदेशों में गए, चुनावी रैलियां की, लेकिन मणिपुर क्यों नहीं गए? वे कहते हैं- सबका साथ, सबका विकास। लेकिन आपने सिर्फ कुछ लोगों का साथ दिया और गरीबों का सत्यानाश कर दिया।
आगे कहा कि, पिछले 10 साल में देश की शिक्षा प्रणाली पर RSS के लोगों ने कब्जा कर लिया है। यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर, प्रोफ़ेसर, NCERT, CBSE सबमें RSS का कब्जा है और अच्छे विचार वालों के लिए वहां कोई जगह नहीं है। RSS की विचारधारा देश के लिए खतरनाक है। ये महिलाओं और दलितों को शिक्षा नहीं देना चाहते हैं। शिक्षा प्रणाली में अगर RSS के लोगों को चुन-चुनकर डाला गया तो शिक्षा व्यवस्था और संविधान का उद्देश्य खत्म हो जाएगा।