हरियाणा : कैथल ने पराली नहीं जलाने की घटनाओं में 60 प्रतिशत कमी लाकर प्रदेश में पाया प्रथम स्थान

हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन सेवानिवृत आईएएस अधिकारी पी राघवेंद्र राव ने कहा कि पराली प्रबंधन मामले में इस सफलता के लिए जिला प्रशासन के साथ-साथ क्षेत्र के किसान बधाई के पात्र हैं।

इस वर्ष कैथल जिले ने पराली न जलाने की घटनाओं में 60 प्रतिशत की कमी लाकर प्रदेश में प्रथम स्थान प्राप्त किया है, इसके लिए जिला प्रशासन के साथ-साथ क्षेत्र के किसान बधाई के पात्र हैं। पराली प्रबंधन में यह उपलब्धि बड़ी है। यह बात हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन सेवानिवृत आईएएस अधिकारी पी राघवेंद्र राव ने कही। वह बतौर मुख्य अतिथि लघु सचिवालय में मंगलवार को जिला प्रशासन और डिलोइट के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे।

इस मौके पर पराली प्रबंधन के मामले में सहयोग व अच्छा कार्य करने वाली विभिन्न ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधियों को सम्मानित किया गया। हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन सेवानिवृत आईएएस अधिकारी पी राघवेंद्र राव ने कहा कि पराली प्रबंधन मामले में इस सफलता के लिए जिला प्रशासन के साथ-साथ क्षेत्र के किसान बधाई के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि पराली न जलाने के जीरो बर्निंग लक्ष्य को सभी के सांझे प्रयासों से प्राप्त किया जा सकता है। पराली प्रबंधन जहां किसानों की आमदनी का बेहतर जरिया है, वहीं वातावरण व स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।

इस मौके पर डीसी प्रशांत पंवार, डिलोइट कंपनी से अभय वर्मा, नम्रता गुलाटी, कन्नू मिली सनिला, गरिमा रावत व अन्य अधिकारी तथा विभिन्न पंचायत प्रतिनिधि मौजूद रहे। चेयरमैन पी राघवेंद्र राव ने कहा कि पराली प्रबंधन की दिशा में जिला ने अच्छा कार्य किया है। इतना ही नहीं प्रदेश स्तर पर भी जो पराली प्रबंधन किया गया, उसकी सराहना सर्वोच्च न्यायालय के साथ-साथ केंद्र सरकार ने भी की है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2021 से लगातार प्रदेश में पराली प्रबंधन की दिशा में अच्छा कार्य किया जा रहा है। राव ने कहा कि सरकार की ओर से जो ग्राम पंचायतें रेड से येलो और ग्रीन जोन में आती है, उन्हें प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है।

डीसी प्रशांत पंवार ने कहा कि जिला में पराली प्रबंधन व किसानों को जागरूक करने के लिए नित विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए। पूरे जिला को आठ क्लस्टरों में विभाजित करके उच्चाधिकारियों के साथ-साथ टीमें गठित की गई थी, जो निरंतर क्षेत्र में जाकर पराली प्रबंधन की दिशा में कार्य कर रही थी और किसानों को जागरूक भी कर रही थी।

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